तुम जो हो साथ ,
ये बारिश की बूंदें भी नशीली शराब है
तुम बिन ये बारिश भी बड़ी बेआब है।
धानी चुनर ओढ़े धरती जैसे दुल्हन नई कोई
सारे तारे बाराती बने बैठे हैं आज
दूल्हा बना इतरा रहा आज माहताब है।
देखो तो सही कितनी हसीन है
ये हमारी छोटी सी दुनिया
इक मैं हूॅं,इक तुम हो
बस यही मेरी पूरी कायनात है ।
तुम भी क्या यूं ही खोये हो मेरी आंखों में ,
ज़रा इक बार दाद दो और कहो तो सही
वाह वाह क्या कहना आपका
वाह जनाब क्या बात है ।
लता सिंह ‘सर्वप्रिया’